किन्नर अथवा हिजड़े इन नामों को तो हर कोई जानता होगा, लेकिन किन्नर अथवा हिजड़े सामान्य लोगों से कैसे अलग होते हैं, यह बात कोई नहीं जानता। आज हम आपको कुछ ऐसी जानकरी देंगे, जो किन्नर अथवा हिजड़े के जीवन में होती हैं-
किन्नर अथवा हिजड़े का जन्म कैसे होता है, यह कम ही लोग जानते हैं। अगर रक्त (रज) की मात्रा अधिक होती हैं, तो लड़की का जन्म होता है, और अगर वीर्य की मात्रा अधिक होती है, तो लड़का जन्म लेता है, और अगर रक्त और वीर्य दोनों की मात्रा सामान होती है, तो किन्नर अथवा हिजड़े का जन्म होता है।
किन्नर अथवा हिजड़े की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार गोपनीय तरीके से किया जाता है।
किन्नर अथवा हिजड़े इनकी भी चार देवियां होती हैं, जिनकी ये पूरी श्रद्धा से पूजा करते हैं।
किसी की कुंडली में अगर शनि, बुध, केतु और शुक्र का अशुभ योग हैं, तब भी उसके किन्नर या नपुंसक होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं।
किन्नर अथवा हिजडो को मरने पर दफनाया जाता है।
किन्नर अथवा हिजडो की शव यात्रा रात के समय निकाली जाती है।
महाभारत के अर्जुन ने अपने एक वर्ष के अज्ञात वास के दौरान किन्नर वृहन्नला का रूप धारण किया था
अब एक वर्ष तक अर्जुन किन्नर वृहन्नला का रूप धारण करके रहे थे, तब उन्होंने उत्तरा को नाच और गाना सिखाया था।
कुछ लोगो का मानना है, कि अरिष्टा और कश्यप ऋषि के द्वारा इनकी उत्पत्ति हुई है, और कुछ लोगो का मानना है, कि ब्रह्माजी के द्वारा इनकी उत्पत्ति हुई।
किन्नर अथवा हिजड़े के समुदाय में किसी भी नये आदमी को भेजने से पहले उनके कुछ रीती-रिवाजो का पालन किया जाता है। उन रीती-रिवाजो के पूरे होने पर ही कोई नया व्यक्ति इनके समुदाय में जा सकता है।
ऐसा माना जाता है, कि किन्नर अथवा हिजड़े की दुआयो में इतनी ताकत होती है, कि आपके बुरे समय को भी अच्छे में बदल सकती हैं, यही कारण है, कि किसी के घर में शुभ काम होने पर किन्नर अथवा हिजड़े को बुलाया जाता है।
कुछ लोग धन लाभ के लिये किन्नर अथवा हिजड़े से एक सिक्का लेकर हमेशा उसे अपने पास रखते हैं।
कुंडली में बुध गृह कमजोर होने पर किन्नर अथवा हिजड़े को रंग की साडी और चूड़ियां दान करने पर लाभ होता है।